मेरठ में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पहला एलपीएम (लाइवस्टोक प्रोडेक्शन मैनेजमेंट) म्यूजियम खोला जा रहा है। इसमें देशी नस्लों के स्टैच्यू रखे जाएंगे। किसान, पशुपालक व कृषि विवि के वेटनरी छात्रों को भी इन नस्लों के बारे में जानकारी दी जाएगी।

वेटनरी कॉलेज में एलपीएम विभागध्यक्ष डॉ. डीके सिंह ने बताया कि कि अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुली डेयरियां व किसानों के यहां हो रहे पशुपालन में अधिकतर देशी नस्लों का ही पालन किया जा रहा है। किसानों व पशुपालकों को देशी नस्लों की देखरेख को लेकर जानकारी न होने से वह इन नस्लों को पालते समय सही से देखभाल नहीं कर पाते हैं। पशुपालक को नस्लों का भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इस कारण वह अपनी आय को और बढ़ा सकते हैं। विवि का इस म्यूजियम को खोलने के पीछे उद्देश्य किसानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने के साथ उन्हें देशी व विदेशी नस्लों के बारे में जानकारी देना है। इस म्यूजियम के तैयार होने के बाद यहां आने वाले किसान व पशुपालकों को म्यूजियम में रखे देशी व विदेशी नस्लों के स्टैच्यू के माध्यम से नस्लों के बारे व उनकी देखरेख को लेकर विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा
कृषि विवि के वेटनरी कॉलेज में बनाए गए म्यूजियम के प्रभारी डॉ. अमित कुमार चौधरी ने बताया कि सबसे अधिक देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। आज गोवंश सड़कों पर आवारा घूमने के लिए मजबूर हैं। देशी गोवंश नस्ल के संरक्षण को लेकर विवि की ओर से गांव-गांव में जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इस म्यूजियम में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ व मुर्गी की देशी नस्लों के स्टैच्यू रखे गए। इसे और भी विस्तार दिया जाएगा।
वेटनरी कॉलेज में एलपीएम विभागध्यक्ष डॉ. डीके सिंह ने बताया कि कि अभी तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खुली डेयरियां व किसानों के यहां हो रहे पशुपालन में अधिकतर देशी नस्लों का ही पालन किया जा रहा है। किसानों व पशुपालकों को देशी नस्लों की देखरेख को लेकर जानकारी न होने से वह इन नस्लों को पालते समय सही से देखभाल नहीं कर पाते हैं। पशुपालक को नस्लों का भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। इस कारण वह अपनी आय को और बढ़ा सकते हैं। विवि का इस म्यूजियम को खोलने के पीछे उद्देश्य किसानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने के साथ उन्हें देशी व विदेशी नस्लों के बारे में जानकारी देना है। इस म्यूजियम के तैयार होने के बाद यहां आने वाले किसान व पशुपालकों को म्यूजियम में रखे देशी व विदेशी नस्लों के स्टैच्यू के माध्यम से नस्लों के बारे व उनकी देखरेख को लेकर विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा
कृषि विवि के वेटनरी कॉलेज में बनाए गए म्यूजियम के प्रभारी डॉ. अमित कुमार चौधरी ने बताया कि सबसे अधिक देशी नस्लों के संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा। आज गोवंश सड़कों पर आवारा घूमने के लिए मजबूर हैं। देशी गोवंश नस्ल के संरक्षण को लेकर विवि की ओर से गांव-गांव में जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इस म्यूजियम में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ व मुर्गी की देशी नस्लों के स्टैच्यू रखे गए। इसे और भी विस्तार दिया जाएगा।